जौ के 20 फायदे और नुकसान 20 advantage and disadvantage of barley in hindi

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जौ के 20 फायदे और नुकसान
जौ का परिचय (Introduction of barley)
जौ गेहूं की प्रजाति का ही एक अनाज है जो “पोएसी” कुल का पौधा है जिसे अंग्रेजी भाषा में Barley कहा जाता है। जौ को हिन्दी भाषा में जौ, संस्कृत भाषा में यव, उर्दू भाषा में जव, बंगाली भाषा में जो, नेपाली भाषा में तोसा, अरबी भाषा में शाईर तथा पंजाबी भाषा में जवा के नाम से जाना जाता है। जौ का वर्णन अथर्ववेद में मिलता है जो कि प्राचीनकाल से ही भारत एवं विश्व के अन्य देशों संयुक्त राज्य अमेरिका, बांग्लादेश, जर्मनी व रूस आदि कई देशों में उत्पादित किया जाता है। जौ की प्रकृति कड़वी, तीखी, मधुर, रूखी तथा ठण्डी होती है। जौ में विटामिन सी, बी1, बी2, बी3, बी6, के, तथा ई प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, मैग्नीशियम, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, शुगर, पोटैशियम, सोडियम, जिंक, सेलेनियम, मैंगनीज, फालिक एसिड, कापर, सोडियम, जिंक, फैटी एसिड तथा आइरन भी पाये जाते हैं। इस प्रकार जौ विटामिन तथा मिनरल्स का भण्डार हैं। भारत में जौ की बहुतायत खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, झारखण्ड तथा छत्तीसगढ़ में की जाती है।
जौ के 20 स्वास्थ्यवर्ध्दक फायदे
- जौ शरीर का वजन घटानें में अत्यन्त कारगर अनाज है। नियमित रूप के जौ के पौधे के जूस तथा जौ के आंटे की रोटी खाने से अनावश्यक चर्बी समाप्त होती है तथा तेजी से वजन घटता है।
- जौ पाचन सम्बन्धी समस्याएं दूर करता है। जौ में प्रचुर मात्र में पाया जाने वाला फाइबर कब्ज, अपच, एसीडिटी, अफारा आदि समस्याएं दूर करके पाचन तन्त्र को मजबूत करता है तथा भूख बढ़ाता है।
- जौ के पौधे के पानी में प्रचुर मात्रा में फाइबर तथा विटामिन सी तथा जौ के वीज में बीटा ग्लूकेन नामक तत्व पाया जाता है जो कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है जिसके कारण जौ के पौधे की पत्तियों का जूस, जौ का दलिया तथा जौ के आटे की रोटी का नियमित सेवन मनुष्य का रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- जौ उच्च रक्त चाप को नियन्त्रित करता है। जौ में प्रचुर मात्रा में बीटा ग्लूकेन नामक तत्व पाया जाता है जिसके कारण जौ के आंटे का नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियन्त्रित होकर उच्च रक्त चाप नियन्त्रित रहता है।
- जौ हृदय को स्वस्थ रखने के लिए सर्वोत्तम अनाज है जिसमें पाया जाने वाला बीटा ग्लूकेन नामक तत्व मानव शरीर की धमनियों में तथा आर्टिलरी वाल में कोलेस्ट्राल नही जमने देता जिसके काऱण हृदय स्वस्थ रहता हैं तथा हृदय (दिल) का दौरा नही पड़ता है।
- जौ में एफ्रोडिसिएक नामक तत्व पाया जाता है जो मानव जननांगों में रक्त संचार को बढ़ाता है, अनिद्रा, अवसाद तथा शुगर में भी लाभदायक परिणाम देता है। इसलिए जौ का निरन्तर एवं नियमित सेवन यौन स्वास्थ्यवर्ध्दक, अनिद्रा, शुगर तथा अवसाद में लाभकारी है।
- जौ के दलिया में उपलब्ध ब्यूटेरिक एसिड तथा बीटा ग्लूकेन पाचन संस्थान को स्वस्थ करके कब्ज हटा कर पाचन शक्ति बढाने का कार्य करते हैं। जौ के दलिया का नियमित सेवन कब्ज को दूर करता है तथा पाचन शक्ति बढ़ता है।
- जौ में फाइबर पाया जाता है जो कि पित्ताशय की पथरी को गला देता है। जौ की दलिया तथा आंटे का निरन्तर एवं नियमित सेवन पित्ताशय की पथरी को गला कर नष्ट कर देता है।
- मानव रक्त में आयरन की कमी हो जाने पर लाल रक्त कणिका यानी हीमोग्लोबिन की कमी हो जाने पर एनीमिया (रक्ताल्पता) नामक रोग हो जाता है। जौ में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है जिसके कारण जौ का निरन्तर एवं नियमित सेवन करने पर एनीमिया रोग ठीक हो जाता है।
- जौ में भारी मात्रा में पाया जाने वाला फास्फोरस हड्डियों के विकास तथा दांतों के विकास में सहायक है जिसके कारण जौ के आंटे तथा दलिया का नियमित एवं निरन्तर सेवन दांतों तथा हड्डियों को स्वस्थ रखता है।
- जौ की पत्तियों के जूस का निरन्तर सेवन यूरिक एसिड को कम करके गठिया रोग की सूजन को कम करता है।
- जौ में पाया जाने वाला आयरन भ्रूण का विकास करता है, फोलिक एसिड बच्चे के जन्म दोष के जोखिम को कम करता है तथा कैल्सियम उच्च रक्त चाप नियन्त्रित करता है। इस प्रकार जौ का नियमित तथा निरन्तर सेवन गर्भावस्था में अत्यन्त लाभकारी है।
- जौ में एण्टीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है जिसके कारण जौ का नियमित सेवन यूरिनरी इन्फेक्शन में अत्यन्त लाभकरी परिणाम देता है।
- जौ में प्रोसायनिडिन बी-3 नामक तत्व पाया जाता है जो कि बालों के विकास में अत्यन्त गुणकारी है जिसके कारण जौ का नियमित सेवन बालों का समुचित विकास करता है।
- जौ का नियमित सेवन करने से जौ में पाया जाने वाला बीटा ग्लूकेन तथा पोंटोसन तथा फेनोलिक्स लीवर को स्वस्थ ऱखते हैं।
- जौ के अर्क का सेवन करने से त्वचा के घाव, लाल चकत्ते आदि ठीक हो जाते हैं।
- जौ में पाये जाने वाले फिनोलेक्स, लिग्नेन, अर्बीनोक्जायलन, ग्लूकेन तथा फाइटोस्टेरोल नामक तत्वों में एंटीकैंसर का गुण पाया जाता है। अपने उक्त गुणों के कारण जौ का निरन्तर सेवन कैंसर से बचाव में बेहद सहायक हैं।
- जौ के भुने आंटे (सत्तू) में देशी घी मिला कर सेवन करने से खांसी, नजला जुकाम तथा हिचकी रोग ठीक हो जाते हैं।
- जौ के भुने आंटे (सत्तू) में शहद मिला कर सेवन करने से सांस की बीमारी में काफी लाभ होता है।
- जौ के आंटे व दलिया तथा जौ की पत्तियों के जूसका निरन्तर एवम नियमित सेवन अस्थमा रोंग में अत्यन्त लाभकारी है।
जौ के नुकसान
- जौ में स्टार्च पाया जाता है जिसका अधिक सेवन कब्ज की समस्या उत्पन्न करता है। इसलिए जौ का अत्यधिक सेवन पेट में कब्जियत की समस्या पैदा कर सकता है। इस प्रकार जौ का अधिक सेवन हानिकारक है।
- जौ में एण्टीडायबेटिक तत्व पाया जाता है, जिसके कारण डायबिटीज (मधुमेह) के वे रोगी जो कि दवा का सेवन कर रहें हैं, को जौ का सेवन शुगर को सामान्य से भी कम करके नुकसान पहुंचा सकता है।
- जौं के अधिक सेवन से जौ में पाया जाने वाला लैक्सेटिव प्रभाव दस्त की समस्या उत्पन कर सकता है।
- जौ का अधिक सेवन बच्चों में एलर्जी उत्पन्न कर सकता है।
- जौ के अधिक सेवन से जौ में प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाले विटामिन सी तथा फाइबर पाचन तन्त्र गड़बड़ कर सकते हैं।
- जौ के अधिक सेवन से जौ में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला कार्बोहाइड्रेट वजन को बढ़ा देता है।
- जौ का अधिक सेवन करने से जौ में भारी मात्रा में पाया जाने वाला कैल्सियम पेट में गैस तथा एसीडिटी पैदा करता है।