सन्तुलित आहार

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सन्तुलित आहार
वे भोज्य पदार्थ जिसमें मानव की शारीरिक क्षमता तथा कार्यकीय सक्रियता को बनाये रखने के लिए एवं उसमें अभिवृध्दि करने के लिए आवश्यक सभी अवयव / तत्व उपलब्ध हों, सन्तुलित आहार कहलाता है।
या
वह आहार जिससे शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, वसा तथा आवश्यक सभी पोषक तत्व समुचित मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं, सन्तुलित आहार कहलाता है।
सन्तुलित आहार के आवश्यक तत्वः
सन्तुलित आहार के मुख्यतया 06 आवश्यक तत्व हैं जो निम्नवत हैः
- प्रोटीन।
- वसा ।
- कार्बोहाइड्रेट।
- खनिज लवण।
- विटामिन।
- जल।
प्रोटीनः
प्रोटीन जीवद्रव्य का मुख्य अवयव है जो कि अमीनो अम्ल का बना होता है तथा शारीरिक वृध्दि, जीवद्रव्य की उत्पत्ति एवं क्षतिग्रस्त ऊतकों का मरम्मत करता है। मानव शरीर के लिए कुल 20 अमीनो अम्ल की आवश्यकता पडती है जिनमें से 10 अमीनो अम्ल शरीर के अन्दर ही निर्मित होते हैं तथा शेष 10 अमीनो अम्ल भोजन के माध्यम से उत्पन्न होते हैं। मानव शरीर के लिए आवश्यक उर्जा का 15 प्रतिशत भाग प्रोटीन से प्राप्त होता है। 01 ग्राम प्रोटीन के आक्सीकरण से 4.1 कैलोरी ऊर्जा प्रप्त होती है।
प्रोटीन के स्रोतः
प्रोटीन के महत्वपूर्ण श्रोत सोयाबीन, दाल, अण्डा, मांस, मछली आदि हैं।
सोयाबीन में लगभग 43.2 प्रतिशत प्रोटीन, दालों मे लगभग 30 प्रतिशत प्रोटीन, गेहूं में 12.1 प्रतिशत प्रोटीन, अण्डा में 13 प्रतिशत प्रोटीन, मांस में 21.4 प्रतिशत प्रोटीन, तथा मछली में 16.6 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है।
सीरम एवं अण्डे में अल्बूमिन प्रोटीन, रक्त में ग्लोबीन प्रोटीन, गेहूं में ग्लाइडीन प्रोटीन, दूध में केसीन प्रोटीन, सींग में किरोटिन प्रोटीन एवं अकशेरुक जन्तुओं के रक्त में हीमोसाइनिन नामक प्रोटीन पाया जाता है।
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगः
- क्वाशियोर्करः यह रोग बच्चों में होता है ,जिसमें हाथ पांव दुबला हो जाता है तथा पेट बाहर निकल आता है।
- मरस्मसः यह रोग बच्चों में होता है जिसमें मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं।
प्रोटीन के मुख्य कार्यः
- ये कोशिकाओं, जीवद्रव्य तथा ऊतकों के निर्माण में भाग लेते हैं।
- जैव उत्प्रेरक तथा जैविक नियन्त्रक के रूप में कार्य करते हैं तथा अनुवांशिकी लक्षणों के विकास को नियंत्रित करते हैं।
- शारीरिक वृध्दि, जीवद्रव्य की उत्पत्ति एवं क्षतिग्रस्त ऊतकों का मरम्मत करता है।
वसाः
वसा का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन एवं आक्सीजन से होता है। वसा का आक्सीकरण होने पर वसीय अम्ल एवं ग्लिसराल प्राप्त होते हैं । वसा का संचय वसा ऊतकों में होता है। 01 ग्राम वसा का आक्सीकरण होने पर लगभग 9.3 कैलोरी उर्जा प्रप्त होती है। मानव शरीर के लिए आवश्यक उर्जा का 35 प्रतिशत भाग वसा से प्राप्त होता है। मानव शरीर में वसा का संश्लेषण माइटोकाण्ड्रिया में होता है।
वसा के स्रोतः
घी, वनस्पित तेल, बादाम, काजू, मांस, मछली, चना आदि है। बादाम में लगभग 58.9 प्रतिशत वसा, सोयाबीन में 19.5 प्रतिशत वसा, मूंगफली में 40 प्रतिशत वसा, चनें में 5.6 प्रतिशत वसा तथा मछली में 1.4 प्रतिशत वसा पायी जाती है।
वसा के कार्यः
- शरीर को ऊर्जा प्रदान करना करता है।
- शरीर के विभिन्न अंगों की चोटों से रक्षा करती है।
वसा की कमी व अधिकता का शरीर पर प्रभावः
मानव शरीर में वसा की कमी होने से शारीरिक विकास रुक जाता है ,त्वचा रूखी हो जाती है तथा वजन घट जाता है। वसा की अधकता होने पर शरीर स्थूल हो जाता है, रक्तचाप बढ़ जाते हैं, मोटापा आ जाता है तथा हृदय की बीमारी हो जाती है।
कार्बोहाइड्रेटः
कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन एवं आक्सीजन से मिलकर निर्मित होता है जिसमें हाइड्रोजन तथा आक्सीजन का अनुपात 2:1 होता है। 01 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से 4.1 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। मानव शरीर के लिए आवश्यक कुल ऊर्जा का 50 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है।
कार्बोहाइड्रेट 03 प्रकार के होते हैः मोनोसैकेराइड, डाइसैकेराइड तथा पाली सैकेराइड।
मानोसैकेराइड्स मुख्यतया दूध, शहद एवं अंगूर में पाये जाते हैं। शहद की शर्करा को फ्रैक्टोज, दूध की शर्करा को गैलक्टोज एवं अंगूर की शर्करा को ग्लूकोज कहते हैं।
दो मोनोसैकेराइड्स अणुओं के संयोग से डाईसोकेराइड्स का एक अणु निर्मित होता है। डाईसैकेराइड्स के मुख्य श्रोत दूध, चुकन्दर, गाजर, गन्ना आदि हैं।
पाली सैकेराइड के मुख्य स्रोत आलू, अनाज आदि हैं।
कार्बोहाइड्रेट के मुख्य श्रोतः
गेहूं, चावल, गन्ना, मूंगफली आदि हैं। गेहूं में लगभग 79.2 प्रतिशत, मूंगफली में 46.1 प्रतिशत, चावल में 78.2 प्रतिशत, चने में 59.2 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है।
कार्बोहाइड्रेट के कार्यः
- बाह्य कंकाल, विटामिन सी तथा न्यूक्लिक एसिड का निर्माण करना।
- शरीर की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करना।
खनिज लवणः
खनिज लवण मनुष्य के भोजन के अकार्बनिक घटक होते हैं जो शरीर की उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित करते हैं। मानव शरीर के लिए मुख्यतया निम्नांकित खनिज लवणों की आवश्यकता पडती हैः
- कैल्शियम।
- फास्फोरस।
- पोटैशियम।
- लोहा।
- सोडियम।
- क्लोरीन।
- तांबा।
- आयोडीन।
- कोबाल्ट।
कैल्शियमः
कैल्सियम के मुख्य श्रोत दूध, घी, हरी सब्जियां, अण्डा, गाजर सन्तरा आदि हैं। कैल्शियम का मुख्य कार्य मानव शरीर का कंकाल बनाना, तन्त्रिकाओं को उत्तेजित करना एवं रक्त का थक्का जमनें में मदद करना हैं।
कैल्शियम की कमी से मानव कंकाल विकसित नही हो जाता तथा हड्डियों में ओस्टिओपोरोसिस नामक रोग हो जाता है।
फास्फोरसः
फास्फोरस के मुख्य श्रोत दूध, अण्डा, हरी सब्जी, मछली आदि हैं। फास्फोरस का मुख्य कार्य वसा उपापचय को नियन्त्रित करना, प्रोटीन तथा न्यूक्लिक अम्ल के निर्माण सें सहयोग करना, कंकाल तन्त्र, रक्त तथा दांतों के निर्माण में सहयोग करना है। फास्फोरस की कमी से हड्डियां लचीली तथा दांतों के मसूड़े कमजोर हो जाते हैं।
पोटैशियमः
यह सभी सब्जियों में पाया जाता है। इसका कार्य मानव शरीर में परासरण दाब को नियन्त्रित करना है। पोटैशियम की कमी से हाइपोकैलेमिया नामक रोग हो जाता है, हृदय ठीक से कार्य नही करता तथा मानसिक सन्तुलन खराब हो जाता है।
लोहाः
लोहा के मुख्य श्रोत हरी सब्जी, पालक, बथुआ, गन्ना, केला आदि हैं। लोहे का मुख्य कार्य लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण करना हैं। लोहे की कमी से एनीमिया नामक रोग हो जाता है।
सोडियमः
सोडियम का मुख्य श्रोत नमक है। सोडियम का मानव शरीर में जल नियन्त्रित करता है। सोडियम की कमी से मानव शरीर में जल-निर्जलीकरण हो जाता है तथा हाइपोनेट्रेमिया नामक रोग हो जाता है।
क्लोरीनः
क्लोरीन का मुख्य श्रोत नमक है। यह मानव शरीर में अम्ल, क्षार एवं जल का सन्तुलन नियन्त्रित करता है।
तांबाः
तांबा मानव शरीर में एक प्रकार का रक्त घटक होता है जो रक्त एवं एन्जाइम के निर्माण में भाग लेता है। इसकी कमी से मानव शरीर का सन्तुलन खराब हो जाता है।
आयोडीनः
आयोडीन के मुख्य श्रोत आयोडीनयुक्त नमक, जल एवं समुद्री नमक हैं। आयोडीन मानव शरीर में थायराइड ग्रन्थि में थायराक्सिन हार्मोन में पाया जाता है। अयोडीन की कमी से घेंघा नामक रोग हो जाता है।
कोबाल्टः
कोबाल्ट विटामिन B12 का मुख्य घटक है जो कि मानव शरीर में रक्त निर्माण में सहायक होता है। कोबाल्ट की कमी से एनीमिया नामक रोग हो जाता है।
विटामिनः
यह एक कार्बनिक रसायन है। इसका आविष्कार सन् 1911 ई0 में फंक ने किया था। इसे शरीर का रक्षात्मक पदार्थ भी कहा जाता है। घुलनशीलता के आधार पर विटामिन दो प्रकार की होती हैः जल में घुलनशील विडामिन तथा वसा में घुलनशील विटामिन।
जल मे घुलनशील विटामिन – विटामिन B व C है।
वसा में घुलनशील विटामिन- विटामिन A, D, E एवं K है।
विटामिन A
विटामिन ए को वृध्दिकर एवं संक्रमण रोधी विटामिन भी कहा जाता है। विटामिन ए का रासायनिक नाम रेक्टिनाल है।
मुख्य श्रोतः दूध, मक्खन, अण्डा, मछली, तेल, पालक, गाजर आदि ।
कमी से होने वाले रोग- रतौंधी, जीरोफ्थैल्मिया, डरमेटोसिस, मन्द वुध्दि, शरीर में पथरी, आंख में सफेदी।
विटामिन B के समूह
विटामिन B के 11 समूह हैं जिनमे से 08 मुख्य हैं। ये हैं- B1, B2, B3, B5, B6, B7, B11 तथा B12
विटामिन B1
रासायनिक नाम- थाइमिन।
मुख्य श्रोत- अनाज का छिलके, दूध, दाल एवं यकृत आदि।
कार्य- कार्बोहाइड्रेट का उपापचय करता है।
कमी से रोग- मानव में बेरी-बेरी रोग, जानवर में पालीनियूराइटिस रोग।
विटामिन B2
रासायनिक नाम- रिबोफ्लेविन।
मुख्य श्रोत- गेहूं, फल, सब्जी, यकृत तथा मांस आदि।
कमी से रोग- पेलाग्रा या चर्मगाह रोग।
विटामिन B3
रासायनिक नाम- नियासिन।
मुख्य श्रोत- मांस, मूंगफली, टमाटर, पत्तेदार सब्जी।
कमी से रोग- पेलाग्रा (दाद), 4-D सिन्ड्रोम रोग।
विटामिन B5
रासायनिक नाम- पैंटोथैनिक अम्ल।
मुख्य श्रोत- मांस, दूध, मूंगफली, टमाटर, गन्ना आदि।
कमी से रोग- मन्दबुद्धि होना, बाल सफेद होना।
विटामिन B6
रासायनिक नाम- पायरीडाक्सिन।
मुख्य श्रोत- यकृत, मांस. दूध, मछली,मटर आदि।
कार्य- प्रोटीन, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट के उपापचय को नियन्त्रित करता है।
कमी से रोग- अरक्तता (एनीमिया) तथा त्वचा रोग।
विटामिन B7
रासायनिक नाम- बायोटीन।
मुख्य श्रोत- मांस, अण्डा, यकृत, दूध आदि।
कमी से रोग- लकवा, बालों का गिरना।
विटामिन B11
रासायनिक नाम- फॉलिक एसिड।
मुख्य श्रोत- दाल, यकृत, हरी सब्जी, अण्डा आदि।
कमी से रोग- एनीमिया, पेचिस ।
विटामिन B12
रासायनिक नाम- साइनोकोबालामिन।
मुख्य श्रोत- मांस, दूध, अण्डा, फल, कलेजी आदि।
कार्य- न्यूक्लिक अम्ल तथा न्यूक्लियोप्रोटीन का संश्लेषण करता र्है।
कमी से रोग- एनीमिया, पांडुरोग।
इस विटामिन में कोबाल्ट नामक तत्व पाया जाता है।
विटामिन C
रासायनिक नाम- एस्कार्बिक अम्ल।
मुख्य श्रोत- नीबू, आंवला, सन्तरा, टमाटर, मुसम्मी, इमली आदि।
कार्य- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृध्दि करता है।
कमी से रोग- स्कर्वी रोग।
विटामिन सी आंवला में सबसे अधिक पाया जाता है।
विटामिन D
रासायनिक नाम- कोल्सीफिरोल।
मुख्य श्रोत- सूर्य की किरण, मक्खन, अण्डा, मछली का तेल, यकृत आदि।
कार्य- हड्डियों तथा दांतों को मजबूती प्रदान करता है।
कमी से रोग- बच्चों में सूखा रोग, वयस्कों में अस्थिमृदुता।
विटामिन E
रासायनिक नाम- टोकोफेरोल।
मुख्य श्रोत- सोयाबीन का तेल एवं सलाद पत्ते, चावल के छिलके का तेल, कपास के बीज का तेल आदि।
कार्य- प्रजनन अंगों का विकास, त्वचा की सुरक्षा तथा कोशिकाओं में उपस्थित एंजाइमों की रक्षा।
कमी से रोग– नपुंसकता।
विटामिन K
रासायनिक नाम- नैप्थाक्विनोन।
मुख्य श्रोत- हरी सब्जियां, गाजर, अण्डा आदि।
कार्य- खून का थक्का बनाने में मदद करना।
कमी से रोग– चोट लगने पर खून का थक्का नही बनता ।
विटामिन के कार्यः
- उपापचय क्रिया में सहायता करती है।
- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के भंजन में सहायक है।
जल
जल मानव शरीर में जीवद्रव्य का एक अति महत्वपूर्ण घटक है। मानव शरीर का 65 से 75% भाग जल है जो कि विभिन्न भागों में असमान रूप से वितरित रहता है। मानव मूत्र में 95 प्रतिशत, रक्त प्लाज्मा में 92 प्रतिशत, रक्त में 83 प्रतिशत, मांसपेशियों में 76 प्रतिशत, हड्डियों में 33 प्रतिशत तथा वृक्क में 80 प्रतिशत जल होता है। मानव शरीर से 12 प्रतिशत जल निर्जलीकरण होने पर घातक सीमा आरम्भ होती है।
जल के कार्य
- पसीना तथा वस्तु द्वारा मानव शरीर के ताप को नियन्त्रित रखना।
- भोज्य पदार्थों तखा खनिज लवणों के संवहन का कार्य करना।
- उत्सर्जी पदार्थों को उत्सर्जन अंगों के माध्यम से शरीर से बाहर निकालने का कार्य करता है।
सन्तुलित आहार से लाभः
- शरीर का वजन नियन्त्रित रहता हैं।
- बीमारियों का खतरा कम रहता है।
- शरीर को उर्जा मिलती है।
- शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- गहरी नींद आती है।
- शारीरिक तन्तुओं का निर्माण समुचित रूप से होता है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
कैलोरी मानः
किसी भोज्य पदार्थ की 100 ग्राम मात्रा से जितनी उर्जा निकलती है, उसे कैलोरी मान कहते हैं। बादाम के 100 ग्राम में 655 कैलोरी उर्जा, 100 ग्राम काजू में 596 कैलोरी उर्जा, 100 ग्राम सोयाबीन में 432 कैलोरी ऊर्जा, 100 ग्राम मूंगफली में 567 कैलोरी ऊर्जा, 100 ग्राम चने में 372 कैलोरी ऊर्जा, 100 ग्राम चावल में 347 कैलोरी ऊर्जा, 100 ग्राम गेहूं में 344 कैलोरी ऊर्जा, 100 ग्राम मांस में 194 कैलोरी ऊर्जा, 100 ग्राम अण्डे में 173 कैलोरी ऊर्जा, 100 दूध में 117 कैलोरी ऊर्जा पायी जाती है ।
विभिन्न फलों के100 ग्राम में उपलब्ध ऊर्जा (कैलोरी में)
फल | उपलब्ध ऊर्जा | फल | उपलब्ध ऊर्जा |
नीबू (छिलका सहित) | 22 कैलोरी | सेब | 81 कैलोरी |
केला (मध्यम आकार) | 105 कैलोरी | अंजीर | 37 कैलोरी |
करौंदा (क्रेनबेरी) कच्चा ½ कप | 23 कैलोरी | लीची 28 ग्राम | 29 कैलोरी |
सन्तरा | 65 कैलोरी | पपीता ½ कप | 27 कैलोरी |
नाशपत्ती | 98 कैलोरी | अनन्नास 1/2कप | 39 कैलोरी |
अमरूद ½ कप | 42 कैलोरी | अंगूर 10 फल | 36 कैलोरी |
आडू | 37 कैलोरी | ब्लैकबेरी | 37 कैलोरी |
टमाटर (बडा)पका हुआ | 26 कैलोरी | स्ट्राबेरी ½ कप | 23 कैलोरी |
सूखा किशमिश ½ कप | 110 कैलोरी | टमाटर चेरी | 3 कैलोरी |
चीनी ½ कप | 180 कैलोरी | बेर | 36 कैलोरी |
विभिन्न सब्जियों के100 ग्राम में उपलब्ध ऊर्जा (कैलोरी में)
सब्जियां | ऊर्जा | सब्जियां | ऊर्जा |
कच्चा टमाटर | 17 कैलोरी | पालक | 25 कैलोरी |
शकरकन्द | 115 कैलोरी | कद्दू | 13 कैलोरी |
वैगन कच्चा | 15 कैलोरी | सफेद गोभी कच्ची | 27 कैलोरी |
गाजर कच्ची | 30 कैलोरी | चुकन्दर कच्चा | 36 कैलोरी |
अंकुरित फलियां | 31 कैलोरी | चुकन्दर उबला | 46 कैलोरी |
अजवाइन | 07 कैलोरी | फूलगोभी उबला | 28 कैलोरी |
नया आलू उबला | 75 कैलोरी | पुराना आलू कच्चा | 75 कैलोरी |
सौंफ | 12 कैलोरी | कच्चा मटर | 83 कैलोरी |
प्याज कच्चा | 64 कैलोरी | लहसुन कच्चा | 98 कैलोरी |
मशरूम कच्चा | 13 कैलोरी | लाल मूली | 12 कैलोरी |
ककड़ी (बिना छिली) | 10 कैलोरी | शतावरी कच्ची | 25 कैलोरी |
शतावरी उबला | 13 कैलोरी | ब्रोकली कच्चा | 33 कैलोरी |
चावल उबला | 130 कैलोरी | गेहूं | 327 कैलोरी |
चावल कच्चा | 365 कैलोरी | पकाया हुआ अनाज | 130 कैलोरी |
चिकन | 239 कैलोरी | एक चपाती(रोटी) | 80-110 कैलोरी |