एसिडिटी के कारण, लक्षण और इलाज

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एसिडिटी के कारण, लक्षण और इलाज
जब मनुष्य कुछ खाता है या खाने की इच्छा करता है तो आमाशय से हाइड्रोक्लोरिक एसिड पेप्सिन उत्पन्न होता है जो कि भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर भोजन के पाचन में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा बाह्य हानिकारक बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करता है। जब मनुष्य अधिक तैलीय, मिर्च मसालेदार, अधिक तीखे, तले-भुने एवं गरिष्ठ आहार का सेवन करता है तो आमाशय बहुत अधिक मात्रा में उक्त एसिड उत्पन्न करने लगता है जिसके कारण शरीर में पित्त बढ़ जाता है तथा गले व सीने में जलन होने लगती है, खट्टी डकारें आने लगती हैं, गैस बनने लगती है। इसी अवस्था को एसिडिटी कहा जाता है।
वैसे तो आजकल की अनियमित दिनचर्या में एसिडिटी की समस्या एक आम समस्या बन गई है। अधिक एसिडिटी होने पर अपच, आमाशय में सूजन तथा अल्सर आदि गम्भीर समस्या उत्पन्न हो जाती है, ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर इसे इग्नोर न करते हुए तत्काल रजिस्टर्ड चिकित्सक से मिलकर समुचित उपचार कराना चाहिए। अधिक तैलीय, मिर्च मसालेदार, अधिक तीखे, तले-भुने एवं गरिष्ठ आहार का सेवन करने के अतिरिक्त भी एसिडिटी उत्पन्न होने के अन्य कई कारण हैं जिन पर अमल करने से एसिडिटी उत्पन्न होने से रोंका जा सकता है। एसिडिटी को घरेलू इलाज से भी ठीक किया जा सकता है। इस लेख के माध्यम से एसिडिटी उत्पन्न होने के कारण, लक्षण, कुछ अति महत्वपूर्ण घरेलू इलाज तथा एसिडिटी से बचने के उपायों पर प्रकाश डाला जा रहा है जिन्हे अपना कर एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
एसिडिटी होने के कारणः
- अधिक तैलीय, मिर्च मसालेदार, अधिक तीखे, तले-भुने एवं गरिष्ठ आहार का सेवन।
- कम समयान्तराल पर बार-बार भोजन करना यानी पहले से खाये हुए भोजन के बिना हजम हुए ही पुनः भोजन कर लेना।
- पर्याप्त नींद न लिया जाना।
- नशीले पदार्थों का सेवन।
- अधिक नमक का सेवन किया जाना।
- अधिक चाय, काफी का सेवन।
- भूख लगने पर काफी देर तक स्वयं को भूखा रखना।
- अधिक तनाव होना।
- दर्द निवारक औषधियों का अधिक समय तक सेवन किया जाना।
- उगायी जाने वाली फसलों में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग किया जाना।
- अनाजो को भण्डारित करते समय कीटनाशकों को मिलाया जाना।
- आवश्यकता से अधिक भोजन करके तत्काल सो जाना।
एसिडिटी के लक्षणः
- गले व सीने में जलन होना।
- अधिक खट्टी डकारें आना तथा सांस में दुर्गन्ध होना।
- खट्टी डकारों के साथ भोजन का कुछ अंश गले तक आ जाना।
- पेट में गैस बनना और मुख का स्वाद कड़वा हो जाना।
- सिर व पेट में दर्द होना, बेचैनी होना तथा हिचकियां आना।
- उल्टी, मिचलाहट तथा पेट फूल जाने की समस्या होना।
- भूख न लगना।
- पेट हमेशा भरा-भरा महसूस होना।
- अपच तथा कब्ज होना।
एसिडिटी के घरेलू इलाजः
- सोंठ तथा जायफल मिश्रित चूर्ण का सुबह-शाम नियमित सेवन करने से एसिडिटी समाप्त हो जाती है।
- प्रतिदिन सुबह 8-10 कच्चे तुलसी के पत्तों का खाली पेट नियमित सेवन करने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
- एक गिलास छाछ में भुने जीरा चूर्ण तथा भुनी अजवाइन चूर्ण को मिलाकर दिन में तीन से चार बार नियमित रूप से सेवन करने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
- केला का नियमित सेवन करने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
- पुदीना पत्ती के नियमित सेवन करने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
- भोजन में दालचीनी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
- खाना खाने के बाद प्रतिदिन गुण का नियमित सेवन करने से एसिड बनना बन्द हो जाता है तथा एसिडिटी में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
- नारियल पानी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
- प्रतिदिन खाना खाने के बाद नियमित रूप से सौंफ चबाने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
- अदरक का नियमित सेवन करने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
- नीबू पानी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी कम हो जाती है।
- गुलकन्द का नियमित सेवन करने से हाइपरएसिडिटी में अत्यन्त लाभ होता है।
- डिनर के बाद रात में सोते समय गर्म पानी से त्रिफला का नियमित सेवन करने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
- गिलोय का काढ़ा बनाकर गुनगुना करके दिन में दो बार नियमित सेवन करने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
- प्रत्येक दिन 7 से 8 घण्टे गहरी नींद सोने से एसिडिटी में लाभ होता है।
- अनुलोंम-विलोंम, भ्रामरी तथा कपालभांति प्राणायाम नियमित रूप से करने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
- प्रतिदन 30 मिनट तक पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास करने से एसिडिटी ठीक हो जाती है।
- टमाटर का नियमित सेवन करने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
- सेब, पपीता, अनन्नास का नियमित सेवन करने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
- धनिया का नियमित सेवन करने से एसिडिटी में काफी लाभ होता है।
एसिडिटी से बचने के उपायः
- मार्निंग वाक, योगासन तथा प्राणायाम का नियमित अभ्यास किया जाय।
- डिनर के दो घण्टे बाद सोना।
- 7 से 8 घण्टे की गहरी नींद सोना।
- अधिक मिर्च, मसालेदार, तैलीय, अम्लयुक्त, तीखे भोजन का त्याग करते हुए कम मसालेदार सन्तुलित आहार लेना।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें।
- ब्रेकफास्ट में अंकुरित अनाज, पपीता, सेब, अमरूद आदि मौसमी फलों के सेवन किया जाय।
- जंक फूड के सेवन से बचें।
- नशीले पदार्थों के सेवन से बचें।
- आंवला तथा अनार के अतिरिक्त अन्य खट्टे पदार्थों के सेवन से बचें।
- चाय तथा काफी का कम से कम सेवन किया जाय।
- कोल्ड ड्रिंक तथा फ्रिज के ठण्डे पानी के सेवन से बचें।
- प्रतिदिन ब्रेकफास्ट, लंच तथा डीनर एक निश्चित समय पर ही किया जाय।