चेचक की रोंकथाम, लक्षण, कारण एवं उपचार

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चेचक की रोंकथाम, लक्षण, कारण एवं उपचार
चेचक को अंग्रेजी भाषा में चिकन पाक्स के नाम से जाना जाता है तथा गांव देहात में लोग छोटी माता के नाम से भी जानते हैं। चेचक एक विषाणु जनित रोग हैं जो वैरिओला वायरस नामक विषाणु के संक्रमण के कारण होता है। चेचक रोग सर्दी, खांसी या फ्लू के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। चेचक के फफोलों में तरल भरा होता है, उक्त फफोलों के तरल के सम्पर्क में आने पर भी चेचक रोग का संक्रमण हो जाता है। इस रोग में सम्पूर्ण शरीर में त्वचा पर लाल-लाल फफोले या दाने पड़ जाते हैं जिनमें खुजली होती है।
चेचक के टीके की खोज वर्ष 1976 ई0 में ब्रिटेन के प्रसिध्द चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने किया था। बच्चों में चेचक का प्रथम टीका जन्म के 12 माह में तथा दूसरा टीका 15 वें माह में लगाया जाता है। चेचक से बचाव का टीका बच्चे, वयस्क तथा बुजुर्ग सभी लोगों को लगवाना चाहिए। चेचक रोग बच्चों में अधिक होता है, वयस्कों तथा बुजुर्गों में कम होती है। चेचक रोग से पीड़ित व्यक्ति को खट्टे पदार्थों, घी तथा तेलयुक्त का सेवन नही करना चाहिए। चेचक कोई गम्भीर बीमारी नही है परन्तु इलाज न कराने या लापरवाही बरतनें पर जानलेवा हो सकती है। इस लेख में चेचक रोग के लक्षण, कारण, उपचार तथा रोंकथाम के उपाय पर प्रकाश डाला जा रहा है जिसका पूर्ण अध्ययन करके इस रोग से बचा जा सकता है।
चेचक के लक्षणः
- सम्पूर्ण शरीर में दर्द, ऐंठन, तथा खुजली होती है।
- तेज बुखार हो जाता है
- सम्पूर्ण शरीर में त्वचा पर लाल-लाल दाने या चकत्तें निकल आते हैं जिनमें खुजली होती है।
- चकत्ते फफोले बन जाते है जिनमें द्रव हो जाता है
- दो तीन दिन में फफोलों का द्रव पस बन जाता है तथा फुन्सी बन जाता है तथा अगले 8-9 दिन में फुन्सी सूख कर निकलने लगती है तथा उसके स्थान पर गहरे भूरे रंग के दाग बन जाते हैं।
- मुख सूखने लगता है, प्यास बढ़ जाती है।
चेचक रोग होने के कारणः
- चेचक एक संक्रामक बामारी है जो कि वैरिओला नामक विषाणु के संक्रमण से होता है।
- जब को कोई स्वस्थ व्यक्ति चेचक रोग से पीड़ित व्यक्ति के सम्पर्क में आता है तो पीड़ित व्यक्ति की खांसी, छींक, लार या चकत्तों / फफोलों के द्रव के के सम्पर्क में आने पर स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित हो जाता है।
चेचक की रोंकथाम के उपायः
- चेचक का टीका लगवाएं।
- चेचक रोग से पीड़ित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से बचें।
- साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाय।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं।
चेचक का उपचारः
चेचक रोग के लक्षण होने पर चिकित्सक से सम्पर्क करके इलाज कराना चाहिए। चिकित्सक रोग के लक्षण के अनुसार बुखार होने पर बुखार की दवा पैरासेटामाल, न्यूमुस्लाड, काल पाल आदि और खुजली के लिए एलर्जी की दवा देते हैं। यहां पर चेचक के कुछ प्रभाशाली घरेलू उपचार बाये जा रहें हैं जिन्हें अपना कर लाभ उठाया जा सकता हैं।
- एक चम्मच बेकिंग सोडा को एक गिलास पानी में भिगों दें, गल जाने पर साफ कपड़े का सहायता से चकत्तों / फफोलों पर पर दिन में दो से तीन बार लगायें तथा छायां में सूखने दें। ऐसा नियमित रूप से करने पर चकत्ते / फफोंले ठीक हो जाते हैं।
- नीम की पत्तियों को पानी में बारीक पीस कर पेस्ट बनाकर पेस्ट को चेचक के चकत्तों पर लगाएं, दो घण्टे बाद नीम के उबले हुए पानी से स्नान करें। यह प्रयोग दिन में दो से तीन बार नियमित रूप से करने से चेचक रोग ठीक हो जाता है।
- हरी मटर को पानी में डालकर अच्छी तरह से उबालें तथा उक्त पानी को चेचक रोग से प्रभावित अंग पर लगाएं। दिन में दो से तीन बार नियमित रबप से लगाएं। ऐसा करने से चेचक रोग ठीक हो जाता है।
- एलोवेरा की पत्तियों का छिलका हटा कर रस निकाल कर चेहरे से प्रभावित अंग पर लाएं। दिन में दो से तीन बार नियमित रूप से उपयोग करने पर चेचक में काफी लाभ मिलता है।
- तीन-चार काली मिर्च को अच्छी तरह से पीस कर चूर्ण बना लें, इस पूर्ण को गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में दो से तीन बार तक पिएं। ऐसा नियमित रूप से करने से चेचक रेग ठीक हो जाता है।