Type of depression in Hindi

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Type of depression in Hindi (डिप्रेशन के प्रकार)
इस लेख में डिप्रेशन के विविध प्रकारों पर प्रकाश डाला जा रहा है जिसकी जानकारी पाठकों के लिए अत्यन्त लाभदायक सिध्द हो सकती है। दरअसल डिप्रेशन एक ऐसा मानसिक विकार है जो कि प्रारम्भ में तो सामान्य होता है परन्तु समुचित उपचार न कराये जाने पर धीरे-धीरे एक गम्भीर समस्या बन जाती है। इसलिए डिप्रेशन के लक्षण प्रकट होने पर तत्काल कुशल चिकित्सक (मानसिक रोग विशेषज्ञ) से सम्पर्क कर नियमित इलाज कराना चाहिए। क्या आप जानते हैं कि डिप्रेशन कितने प्रकार का होता हैं? हो सकता है कि आप जानते हों परन्तु बहुत से लोग हैं जो कि यह नहीं जानते हैं कि डिप्रेशन कितने प्रकार का होता है। तो आइए इस लेख में हम आप को बताते हैं कि डिप्रेशन कितने प्रकार का होता है। डिप्रेशन मुख्यतया दो प्रकार का होता हैः-
- प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार।
- सतत अवसादग्रस्तता विकार।
प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार
यह सबसे गम्भीर प्रकार की डिप्रेशन समस्या है जिसमें मरीज के अन्दर हमेशा निराशा, उदासी तथा हर क्षेत्र में स्वयं के नाकाबिल होने यानी असफल होने की भावनाएं बनी रहती है। उक्त भावनाएं मरीज के मन में इस तरह से घर बना लेती हैं कि काफी चाहने पर भी ये भावनाएं मन से बाहर नही निकलती हैं। यदि किसी मरीज में निम्नलिखित में से पांच या पांच से अधिक लक्षण मिलते हैं तोे उसके प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार से ग्रसित होने की पुष्टि होती हैः-
- दैनिक कार्यों में रूचि काफी कम हो जाना।
- ध्यान केन्द्रित करनें में असफल रहना या भ्रम में रहना।
- बहुत अधिक या कम नींद (अनिद्रा) लेना।
- हमेशा आत्महत्या के बारे में सोचना।
- दिन में अधिकांश समय बिना किसी श्रम किये ही थकान महसूस करना।
- सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो जाना।
- ग्लानि का अनुभव होना।
- शरीर का वजन अचानक बढ़ जाना या कम हो जाना।
- दिन में अधिकांश समय मानसिक रूप से अवसादग्रस्त रहना।
- स्वयं के बेकार (निक्रिष्ट) होने का अनुभव किया जाना।
2. सतत अवसादग्रस्तता विकार
इस विकार को संक्षेप में पी0डी0डी0 के नाम से भी जाना जाता है। यह डिप्रेशन विकार मरीज में काफी लम्बे समय तक रहता है। इलाजकर्ता चिकित्सक द्वारा इस मानसिक विकार (डिप्रेशन) का पता लगाने के लिए मरीज के दो वर्ष के अनुभवों की जानकारी कर विश्लेषण किया जाता है। सतत अवसादग्रस्तता विकार से ग्रसित मरीज के अन्दर आत्मसम्मान में कमी का अनुभव होना, दैनिक कार्यों में रूचि समाप्त हो जाना, कार्य करने की क्षमता काफी कम हो जाना तथा फील होपलेस के लक्षण पाये जाते हैं।
हमे उम्मीद है कि आप को यह लेख अवश्य पसन्द आया होगा। अगले लेख में डिप्रेशन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी जायेगी।